Saturday, April 20, 2024
Homeजमानत सम्बंधितAnticipatory bail in hindi अग्रिम जमानत क्या होता है?

Anticipatory bail in hindi अग्रिम जमानत क्या होता है?

जब किसी व्यक्ति को ऐसा लगता है की उसे झूठे केस में फसाया जा सकता है अथवा उसके खिलाफ F.I.R किया गया है जो की अजमानतीय अपराध के लिए है तो Anticipatory bail के लिए आवेदन क्र सकता है। अर्थात गिरफ्तार होने से पहले गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकते है। गिरफ्तार होने के बाद रेगुलर बेल कराना होता है।

Anticipatory bail CrPC की धारा 438 के अंतर्गत कोर्ट द्वारा दिए जाने का प्रावधान किया गया है। Anticipatory bail हमेशा अजमानतीय अपराध में ही होता है। क्योंकि जमानतीय अपराध में थाने से ही जमानत दिए जाने का प्रावधान है।

अग्रिम जमानत लेने के लिए आरोपी का उपस्थित होना आवश्यक नहीं होता है, सिर्फ उस व्यक्ति का वकालतनामा पर हस्ताक्षर होना जरूरी होता है। अग्रिम जमानत से सम्बंधित याचिका मजबूत आधार पर होना चाहिए तथा आवेदन में अपराध से सम्बंधित सभी आवश्यक तथ्य होने चाहिए साथ ही आवेदक की गिरफ़्तारी क्यों न की जाये इसकी जवाब स्पष्ठ रूप से होना चाहिए।

अग्रिम जमानत न्यायलय का वह निर्देश है जिसमें आरोपी को गिरफ्तार होने से पहले ही जमानत दे दी जाती है अर्थात आरोपी को इस मामले में गिरफ्तार नहीं किया जायेगा। आपराधिक कानून के अंतर्गत गैर-जमानतीय अपराध के आरोप में गिरफ़्तारी से बचने के लिए कोई भी अग्रिम जमानत ले सकता है।

Cr.P.C के धारा 438 के अंतर्गत अग्रिम जमानत देने का अधिकार सिर्फ सत्र न्यायालय तथा उच्च न्यायालय को ही दिया गया है। जमानत देने का अधिकार न्यायालय के पास सुरक्षित होता है। अग्रिम जमानत आरोपी का अधिकार नहीं होता है।

जमानत दिए जाने की शर्त 

सेशन कोर्ट अथवा हाई कोर्ट जमानत देने के साथ कुछ शर्तो को भी रख सकती है

  • पुलिस द्वारा बुलाये जाने पर उपस्थित होना
  • मामले से जुड़े किसी व्यक्ति अथवा गवाह को धमकी न देना
  • साक्ष्य अथवा साबुतों को प्रभावित न करना
  • न्यायालय को बिना सुचना दिए भारत से बाहर नहीं जाना

Anticipatory bail पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कहा की अग्रिम जमानत के लिए कोई समय सिमा निर्धारित नहीं की जा सकती और यह मुक़दमे के अंत तक भी जारी रह सकती है। अर्थात गिरफ्तार होने से पहले कभी भी जमानत के लिए अपील किया जा सकता है।

जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पाँच न्यायधीशों की बेंच ने यह स्वीकार किया की अग्रिम जमानत प्रभावशाली व्यक्तियों को झूठे केस में फ़साने से रोकने में मदद करती है।

यह भी जानें:

Law Article
Law Article
इस वेबसाइट का मुख्य उद्देश्य लोगों को कानून के बारे जानकारी देना, जागरूक करना तथा कानूनी न्याय दिलाने में मदद करने हेतु बनाया गया है। इस वेबसाइट पर भारतीय कानून, न्याय प्रणाली, शिक्षा से संबंधित सभी जानकारीयाँ प्रकाशित कि जाती है।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular